मैं मनीष तिवारी अपने विचारों के साथ आपके सामने उपस्थित हूँ ,
गैस रिसाव के बाद लगा लाशों का ढेर |
अब सरकार से लेकर स्वयंसेवी सगठनों और न्यायिक तंत्र ने आरोप लगाना शुरू कर दिया है कि पुलिस ने लापरवाही की है , पर्याप्त सबूत नहीं पेश किये गए , मुकदमें के दौरान लापरवाही बरती गयी और जानबूझकर हल्की धाराएँ लगायी गयीं ,
पर भई सोचने की बात तो यह कि यह जो सारे लोग आज हो हल्ला मचा रहे हैं, उस समय कहाँ थे जब यह सब किया जा रहा था ?
क्या सरकार ने उस समय अपनी आँखे बंद कर रखीं थीं, जब केस के दौरान लापरवाही बरती जा रहीं थी ?
दुधमुहे को बचाने को अंतिम सांस तक जुटी रही एक माँ |
और अगर ऐसा नहीं है , तो भी इस सब के लिए जितनी जिम्मेदार जांच एजेंसियां और पुलिस हैं उससे कहीं ज्यादा दोषी सरकार और यही स्वयंसेवी संगठन भी हैं !
हाँ यदि वे दोषी नहीं हैं , तब तो फिर सभी उतने ही पाक-साफ हैं ?
तो फिर आखिरकार भोपाल गैस त्रासदी के लिए जिम्मेदार कौन है ?
क्या सच में कोई नहीं ????


असल गुनहगार कौन ? कुछ काम न आया...
इस शर्मनाक कांड की जिम्मेवार सिर्फ और सिर्फ कांग्रेस पार्टी और उसकी भ्रष्ट नीतियाँ है ,जिसने देश को भी हर तरह से बर्बाद कर दिया है |
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