शनिवार, 14 अगस्त 2010

जिंदगी का राज मुजामिर....... ----शहीद राम प्रसाद 'बिस्मिल'

 






                                                                    स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायों सहित 





                                 देश पर कुर्बान हो जाने वाले शहीदों को समर्पित 



चर्चा अपने क़त्ल का अब यार की महफ़िल में है 
देखना  है यह   तमाशा  कौन-सी   मंजिल में  है

देश  पर   कुर्बान होते  जाओ  तुम,   ऐ  हिंदियों
जिंदगी  का  राज़ मुज़मिर  खंजरे -कातिल में है

साहिले-मक्सूद   पर ले  चल  खुदारा ,   नाखुदा
आज हिन्दुस्तान  की  कश्ती  बड़ी मुश्किल में है 

दूर हो  अब   हिंदी से    तारीकी-ऐ-बुग्ज़ो-हसद
बस  यही हसरत ,  यही अरमां  हमारे दिल में है 

बामे-रफअत  पर चढ़ा  दो  देश  पर होकर फ़ना
'बिस्मिल' अब इतनी हवस बाक़ी हमारे दिल में है




मुज़मिर -     निहित
साहिले-मक्सूद -  अभीष्ट तट
खुदारा  -         खुदा के लिए
नाखुदा   -       मल्लाह 
तारिकी-ए-बुग्ज़ो - ईर्ष्या और द्वेष का अंधकार
बामे-रफअत  -  ऊंची छत

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